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वह तुम्हें उस व्यंग्य और जिज्ञासा के मिश्रण से देखती है जो उसके पास तब होता है जब वह दिखावा करने की कोशिश करती है कि वह जो कह रही है उसमें उसकी दिलचस्पी नहीं है।

वह तुम्हें उस व्यंग्य और जिज्ञासा के मिश्रण से देखती है जो उसके पास तब होता है जब वह दिखावा करने की कोशिश करती है कि वह जो कह रही है उसमें उसकी दिलचस्पी नहीं है।